कौशल विकास और नौकरियों का सृजन भारत के लिए महत्वपूर्ण- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में सीआईआई (Confederation of Indian Industry) छिंदवाड़ा कौशल प्रशिक्षण केन्द्र के वार्षिक दिवस समारोह (14 दिसंबर, 2016) को संबोधित किया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में भारत को आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इसकी आधी जनसंख्या की उम्र 25 वर्ष से कम रहेगी। हमारे युवा कर्मचारियों के पास यदि नौकरी होगी तो वे हमारी परिसंपत्ति होंगे। लेकिन, अगर देश रोजगार उपलब्ध कराने में असमर्थ रहता है तो इससे अशांति, और हताशा उत्पन्न होगी।
कागजी योग्यता ही पर्याप्त नहीं
राष्ट्रपति ने कहा कि रोजगार पाने के लिए कागजी योग्यता ही पर्याप्त नहीं होगी, इसके लिए कौशल आवश्यक है। हमारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से हर साल बड़ी संख्या में स्नातक निकलते हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर बेरोजगार रहते हैं। हमारे युवाओं को रोजगार की जरूरत है। दूसरी तरफ, हमारे उद्योगों को पर्याप्त कुशल जनशक्ति खोजने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में अधिकतर आबादी अधिक उम्र वाली है। भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं तीव्र आर्थिक विकास की साक्षी रही हैं। इसलिए हमें हर संभव तरीके से कौशल विकास को बढ़ावा देकर इस अवसर को प्रयोग में लाना चाहिए।
कौशल विकास की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए 2010 में राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद का गठन किया गया था। बड़े पैमाने पर कौशल विकास की जरूरत पर विशेष ध्यान देते हुए वर्तमान सरकार ने 2014 में कौशल विकास के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि कौशल विकास से रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को मजबूत बनाने और सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने छिंदवाड़ा जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना के लिए सीआईआई और स्थानीय सांसद श्री कमलनाथ को उनकी दूरदर्शिता के लिए बधाई दी और केन्द्र की सफलता की कामना की।