पटनाः पर्यावरण संरक्षित हो, जल-जीवन-हरियाली के प्रति लोग जागरूक हो और श्रेय बिहार को मिले तो इससे अधिक खुशी की बात क्या हो सकती है। मगर, कोई भी रिकॉर्ड जनता की सुविधाओं को ताक पर रखकर बनाई जाय तो फिर उसकी सार्थकता अधुरी रह जाती है।
जल-जीवन-हरियाली के नाम पर आज बिहार में विश्वस्तरीय मानव श्रृंखला (Human chain) बनाई जा रही है, लेकिन इसे लेकर एक दिन पहले से ही कुव्यवस्था का आलम देखने को मिल रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक 18 जनवरी शाम 7 बजे से ही नवगछिया के नज़दीक नेशनल हाईवे 31 पर प्रशासनिक आदेश के तहत वाहनों के आवागमन को रोक दीया गया। इस दौरान उक्हत सड़क पर हज़ारों की तादाद में व्यापारिक और निजी वाहनों के साथ एम्बुलेंस के फंसे रहे। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी चौपट हो गई। यातायात पूरी तरह से ठप पड़ा रहा और लोग परेशान रहे।
बात यहीं खत्म नहीं होती। बिहार में बेरोजगारी का आलम क्या है ये सबको भली भांति पता है। ऐसे में कुछ लोग जो नौकरी की आस लिए दिन रात खाक छानते रहते हैं। बमुश्किल उन्हे एक मौका मिला भी, लेकिन कथित तौर पर मानव श्रृंखला (Human chain) की वजह से 20 तारीख को होने वाली उनकी परीक्षा टाल दी गई। बहरहाल इसकी सच्चाई क्या है ये तो सरकार में बैठे हुए लोग ही जानते हैं। लेकिन इस बात में अगर थोड़ी भी सच्चाई है तो कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने वाले आयोजकों की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगना लाजिमि है।
बता दें बिहार के सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार विभिन्न कुरीतियों के खिलाफ पिछले 4 वर्षों से जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अब तक वे तीन बार मानव श्रृंखला बनवा चुके हैं। पहली मानव श्रृंखला 21 जनवरी 2017 को शराब मुक्त बिहार पर केंद्रीत थी, दूसरी 21 जनवरी 2018 को बालविवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर और अब 19 जनवरी को तीसरी मानव श्रृंखला (Human chain) जल-जीवन-हरियाली पर। उम्मीद है पर्यावरण संरक्षण पर आधारित यह तीसरी श्रृंखला पहली दो मानव श्रृंखलाओं की तरह ही दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला होगी।