सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: नहीं थम रहा गवाहों के मुकरने का सिलसिला, एक और गवाह पलटा
बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में एक और गवाह अपने बयान से पलट गया है। इसके साथ ही बयान से पलटने वाले गवाहों की संख्या 50 हो गई है। इससे पहले एक फरवरी और छह मार्च को भी अभियोजन पक्ष का तीन गवाह अपने बयान से मुकर गए थे।
क्या है मामला
सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी का नवंबर 2005 में एनकाउंटर हुआ था। इस मामले में गुजरात और राजस्थान पुलिस पर फर्ज़ी मुठभेड़ के आरोप लगे थे। सीबीआई के मुताबिक गुजरात एटीएस ने 23 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी को हैदराबाद के पास से किडनैप किया था। इसके बाद दोनों को अमदाबाद ले जाकर एनकाउंटर में मार दिया।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात सीआईडी क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच की। इसके बाद पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर नज़र रखते हुए 2010 में कहा था कि सीआईडी (क्राइम) की जांच अधूरी है। हत्या के मक़सद को साफ़ नहीं पाया गया, जिसके बाद जांच सीबीआई को सौंप दी गई। फिर केस को 2012 में मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया। साल 2014 में मामले की सुनवाई कर रहे जज जेटी उत्पत का ट्रांसफर कर दिया गया। उनकी जगह पर बृजगोपाल लोया की नियुक्ति की गई। नियुक्ति के छह महीने बाद ही लोया की नागपुर में एक कार्यक्रम में मौत हो गई। जिसपर काफी विवाद हुआ। हालही में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों ने लोया मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।
बता दें कि साल 2010 में जब केस सीबीआई को सौंपी गई तो अमित शाह समेत कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया। लेकिन मुंबई की अदालत ने शाह को बरी कर दिया। वहीं अदालत ने आईपीएस अफ़सरों को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत यह कहते हुए बरी कर दिया कि वह ड्यूटी कर रहे थे लेकिन छोटे पुलिस अफ़सरों को इसका लाभ नहीं मिला।
Feature Image Source: The Indian Express