हम क्रिसमस क्यों मनाते हैं, कौन थे सांता क्लॉज़… जानिए
हर्ष और खुशी का एक बड़ा उत्सव है क्रिसमस। साल के बड़े पर्वों में से एक है क्रिसमस और इसे प्रभु ईसा के जन्म दिवस के रुप में भी जाना जाता है। भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिसमस पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है।
क्रिसमस को हालांकि ईसा मसीह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है लेकिन ईसाई विद्वान इस बात पर लगभग एकमत हैं कि ईसा के जन्म का वास्तविक दिन यह नहीं है।
कब से मनाया जा रहा है क्रिसमस
क्रिसमस का आरंभ करीबन चौथी सदी में हुआ था। इससे पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्म दिवस को त्योहार के रूप में नहीं मनाते थे। यीशु के पैदा होने और मरने के सैकड़ों साल बाद जाकर कहीं लोगों ने 25 दिसम्बर को उनका जन्मदिन मनाना शुरू किया। ईसाई होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने बाद में जाकर इस दिन को चुना था क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई लोग अजेय सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाई चाहते थे की यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए।
ईसा मसीह की जन्म कथा
बाइबिल के अनुसार माता मरियम के गर्भ से ईसाई धर्म के ईश्वर ईसा मसीह का जन्म (Birth of Jesus) हुआ था। ईसा मसीह के जन्म से पूर्व माता मरियम कुंवारी थी। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ़ नामक व्यक्ति से हुई थी। एक दिन मरियम के पास स्वर्गदूत आए और उन्होंने कहा कि जल्द ही आपकी एक संतान होगी जो इस संसार को कष्टों से मुक्ति का रास्ता दिखलाएगी।
माता मरियम ने संकोचवश कहा कि मैं तो अभी अविवाहित हूं, ऐसे में यह कैसे संभव है। देवदूतों ने कहा कि यह सब एक चमत्कार के माध्यम से होगा। जल्द ही माता मारियम और यूसुफ की शादी हुई। शादी के बाद दोनों यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक (Bethlehem) जगह रहने लगे। यहीं पर एक रात अस्तबल में ईसा मसीह का जन्म हुआ।
कौन थे सांता क्लॉज?
क्रिसमस के दिन संता क्लॉज का भी अपना अलग महत्व है, कहते हैं इस दिन सांता क्लॉज बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने और चॉकलेट लाते है। सांता क्लॉज को क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है जो केवल क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं।
क्रिसमस का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि ईसा मसीह के जन्म की कहानी का संता क्लॉज की कहानी के साथ कोई संबंध नहीं है, कहते हैं तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ।
संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ था। बचपन में माता पिता के देहांत के बाद निकोल को सिर्फ भगवान जीसस पर यकीन था। बड़े होने के बाद वह एक पादरी बने फिर बिशप, उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। वह गरीब बच्चों और लोगों को गिफ्ट दिया करते थे। निकोलस को इसलिए संता कहा जाता है क्योंकी वह अर्धरात्री को गिफ्ट दिया करते थे कि उन्हें कोई देख न पाए। आपको बता दें कि संत निकोलस के वजह से हम आज भी इस दिन संता का इंतजार करते हैं।
क्रिसमस ट्री
हर क्रिसमस के मौके पर सदाबहार फर के पेड़ को सजाया जाता है और इसे क्रिसमस ट्री कहा जाता है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है।
इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। सदियों से सदाबहार वृक्ष फर या उसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। प्रचलित कथा के अनुसार क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्मप्रचारक था।