We Report To You

ओरल कैंसर से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, साथ में चमकीले दांत पाएं

0 555

- Advertisement -

ओरल केयर का मतलब है, मुंह की देखभाल। हम जो भी खाते हैं, वो दांतों द्वारा चबाया जाता है और फिर मुंह में ही मौजूद स्लाइवरी ग्लैंड्स की मदद से उसे पचाने लायक बनाते हैं। स्लाइवरी ग्लैंड से निकला लार भोजन को मुलायम बनाता है, जिसमें दांत उनकी मदद करते हैं। इसके बाद यह छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट कर गैस्ट्रिक ग्लैंड, पैनक्रियाज, लिवर और आंत में मौजूद एंजाइम्स की मदद से पाचन योग्य बनता है। जो शरीर के लिए जरूरी विटामिंस, प्रोटीन और अन्य अवयवों में बदल जाता है। इसलिए यदि हमारा मुंह, जिसमें दांत, जीभ, मसूड़े आदि आते हैं स्वस्थ नहीं रहेंगे, तो हमारा पूरा पाचन तंत्र गड़बड़ा जायेगा। मुंह का सबसे अभिन्न अंग है दांत, जिसे मसूड़े जकड़ कर रखते हैं। अत: दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है। हममें से 90 प्रतिशत लोग डेंटिस्ट के पास तभी जाते हैं, जब दांतों में असहनीय दर्द हो या फिर उसमें कीड़े लग जायें।
ऐसा इसलिए है कि हम अपनी दातों के स्वास्थ्य की अहमियत नहीं जानते और कुछ लोग तो जानबूझ कर भी ऐसी गलतियां करते हैं-जैसे तंबाकू, गुटका और पान मसाला का सेवन। भारत में कैंसर से ग्रसित मरीजों में 30 प्रतिशत लोग ओरल कैंसर से जूझ रहे हैं, पुरुषों में होनेवाला सबसे से खराब कैंसर है और इसमें भी परेशानी की बात यह है कि यह हमारी गलतियों का नतीजा है। हम सुबह कुछ भी खाने से पूर्व ब्रश करें और कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करें, तो हमारी आधी परेशानी हल हो जाती है। इसके अलावा खान-पान की आदतों का असर भी ओरल हेल्थ पर पड़ता है।

दो बार ब्रश जरूरी

प्रतिदिन दो बार यानी एक बार सुबह खाने से पूर्व और दूसरी बार रात का खाना खाने के बाद ब्रश करना जरूरी है। ब्रश कैसा हो, इसके बारे में भी टीवी पर कई ऐड आते रहते हैं। हालांकि, मुलायम ब्रिसेल्स वाले ब्रश ही बेस्ट ब्रश माने जाते हैं. अधिक कड़े ब्रशों से मसूड़े घिस जाते हैं। कई बार उनमें सूजन होने का खतरा भी होता है. टूथपेस्ट वैसा यूज करें, जिसमें फ्लोराइड उपयुक्त मात्रा में हों। इसके साथ ही ब्रश तीन से पांच मिनट तक करें, पर ब्रश को मुंह में लगा कर मत घूमें। ब्रश करने की दिशा ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और गोलाकार मुद्रा में होनी चाहिए। ब्रश करने के बाद जीभिया से जीभ जरूर साफ करें, क्योंकि सबसे ज्यादा बैक्टीरिया जीभ पर ही जमें होते हैं। खाना खाने के बाद या कुछ भी हल्का खाने के बाद भी कुल्ला जरूर करें।

मीठी चीजों से करें परहेज

दातों को सबसे ज्यादा नुकसान शुगर युक्त भोज्य पदार्थों से ही होता है, क्याेंकि मीठी चीजें खाने के बाद यदि दांतों की सफाई ढ़ंग से न की जाये, तो तुरंत बैक्टीरिया हावी होने लगते हैं। खासकर वैसे चॉकलेट्स से, जो दांतों में चिपक जाते हैं। ऐसे चॉकलेट के सेवन से बच्चों के दांतों में सड़न की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसलिए यदि बच्चों को चॉकलेट दें, तो खाने के बाद उनके दांत जरूर साफ करवाएं। साथ ही मसूड़ों को साफ करने के लिए कुल्ला करने के साथ साफ ऊंगली से मसूड़ों की मालिश करवाएं, ताकि उसमें सटा चॉकलेट साफ हो जाये। यदि खाने के समय कोई भोजन का टुकड़ा दांतों के बीच फंस जाये, तो उसे डेंटल फ्लश की मदद से साफ करें।

सुंदर मुस्कान के लिए केयर है जरूरी

बच्चों की मुस्कुराहट तो खूबसूरत रहती ही है, पर ये आगे भी बनी रहे इसके लिए दांतों का सुंदर होना जरूरी है। आम तौर पर दूध के दांत 12 साल की उम्र में टूटते हैं, पर खेल-कूद के दौरान चोट लग जाने या किसी अन्य वजह से छह-सात वर्ष की उम्र में यदि उनके दांत टूट जाये, तो अगले सात सालों तक उनका वह दांत नहीं आता ऐसे में परमानेंट दांत टेढ़े-मेढ़े निकलने की आशंका होती है। इसलिए यदि ऐसा कुछ हो, तो डेंटिस्ट से जरूर मिलें। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में दंत रोगों का लगभग हर इलाज संभव है, यदि मरीज समय से डॉक्टरी सलाह लें। यदि समय से पहले दांत टूट जायें, तो डेंटिस्ट दांतों को टेढ़ा होने से बचाने के लिए क्लिप लगा देते हैं। ये क्लिप अंदर से या बाहर से लगाये जा सकते हैं और दूध के दांतों को तब तक सपोर्ट करते हैं, जब तक कि नियमित दांत न आ जायें।

कैविटी से बचना जरूरी

दातों को सबसे ज्यादा परेशानी कैविटी से होती है। कैविटी बैक्टीरिया द्वारा बनायी गयी एक परत होती है, जिसके कारण दांत पीले नजर आते हैं। कैविटी को यदि नियमित साफ किया जाये, तो यह परेशान नहीं करता, पर कैविटी यदि जमकर ठोस हो जाये, तो उसे टार्टर कहते हैं। बहुत लोगों को लगता है कि टार्टर दांतों को सपोर्ट करता है, पर सच यह है कि टार्टर धीरे-धीरे मसूड़ों को कमजोर बनाता है और उसकी जड़ों को खोखला करता जाता है। यदि उसे नियमित समय पर साफ नहीं करवाया जाये, तो यह मसूड़ों के अंदर हड्डियाें तक संक्रमण फैला सकता है। इससे असमय दांत टूट सकते हैं या उनमें सड़न हो सकती है।

सूजन को न करें इग्नोर

अक्सर हम मुंह के सूजन को इग्नोर करते हैं। सूजन कई बार विटामिन-सी की कमी के कारण भी होता है, पर मुंह का सूजन यदि 15 दिनों में ठीक न हो, तो यह कैंसर का लक्षण भी हो सकता है। यदि तालू में, गाल के अंदरूनी हिस्से में या मसूड़ों में सफेद रंग का दाग हो, तो तुरंत डेंटिस्ट से मिले। वहीं, यदि आपके मुंह से बदबू आये, दांतों में अधिक पीलापन हो, दांत काले हो गये हों, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, वरना हो सकता है कि आपको उस दांत के साथ उसके आस-पास के सटे दातों को भी खाेना पड़े। सबसे खराब मामले में भी यदि एक दांत टूट या सड़ गया हो, तो भी उसकी फीलिंग करायी जा सकती है, तो परमानेंट दांत की तरह ही दिखेंगे और आप उससे खाना भी आसानी से चबा सकेंगे।

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.