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इन्तेजार करिए जल्द हीं तिलिस्म टूटेगा

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देश गुजरात नही है और गुजरात देश नही है, आज जो भी समस्या है इसकी वजह यही है। सत्ता में बैंठे लोगों को कभी महसूस ही नही हुआ इसी देश में किरण बेदी जैसी आईपीएस अधिकारी भी हुई जो इंदिरा गांधी के गांड़ी को क्रेन से खिचवाकर थाने पहुंचा दी थी, एन0के0सिंह जैसा आईपीएस अधिकारी हुए हैं जिन्होनें इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया,  इसी देश में जज जगमोहन लाल सिन्हा भी हुए जिन्होनें इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द कर दिया था और छह वर्षो के लिए चुनाव लड़ने से रोक लगा दिया था। टीएन शेषण ,खेरनार,शांति भूषण,रामनाथ गोयका, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण जैसे हजारों ऐसे नाम है जो समय समय पर सत्ता में बैंठे लोगों को औकात बताते रहे हैं। ये अलग बात है कि इस तरह के जेहादी लोग को काफी परेशानियों का समान करना पड़ा है ।

एन0के0सिंह को एक बेटा था 1980 में इंदिरा गांधी जब फिर सत्ता में लौंटी तो दिल्ली में सरेआम ट्रक से कुचल कर मरवा दिया गया और उस वक्त आरोप संजय गांधी पर लगा था ।।इंदिरा गांधी के जाने के बाद ऐसा नही है कि यह सिलसिला रुक गया राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा तो सरकार इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता अखबार को बंद कराने के लिए क्या क्या नही किया गया कागज बंद कर दिया गया थिन पेपर पर अखबार निकला लेकिन रामनाथ गोयनका समझौता नही किये।।।

इसी तरह आध्रप्रदेश के तत्तकालीन सीएम वाई0एस0 राजशेखर रेड्डी के घोटाले को उजागर करने के कारण ईटीवी के मालिक रामोजी राव को ईटीवी नेटवर्क के सारे क्षेत्रीय चैनल को बेचना पड़ा फिर भी वो झुके नही और लगातार घोटाले से जुड़ी खबरे चलाते रहे।। हलाकि ये सारे बड़े नाम है वैसे इस तरह के सिरफिरे लोग आपको हर गांव,और हर शहर में मिल जायेगा जो सिस्टम से लड़ते लड़ते जान तक गवा दे रहा है वैसे ऐसे लोगों कि समाज कि कौन कहे परिवार में भी सम्मान के दृष्टि से नही देखा जाता है।।।

यू कहे तो ये हमारे संस्कार में समाहित हो चुका है इसी देश में ना यह कहावत चिरतार्थ है कि भगत सिंह हमारे घर में नहीं पड़ोसी के घर पैंदा हो।।

इसलिए आज जब सुप्रीम कोर्ट के चार जज द्वारा व्यवस्था पर सवाल खड़े किये गए तो उस सवाल की गम्भीरता या फिर सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने की वजह पर चर्चा करने के वजाय उसके जाति ,धर्म रिश्ते नाते पर रिसर्च शुरु हो गया है। ये कोई नयी बात नही है आपातकाल के समय भी कांग्रेस आपातकाल को सही ठहराने के लिए क्या क्या नही प्रचारित करवाया आज भी आपको सूनने को मिल जायेगा ट्रेन समय पर चलने लगा था भ्रष्टाचार खत्म हो गया था ,दहेज लेना लोग छोड़ दिये थे सारा मशीनरी पटरी पर आ गया था ।।

उस वक्त देश के सत्ता के साथ गौर करिएगा तो(लालू के शब्दों में कनफुकवा) कांग्रेस के साथ था और आज वही कनफुकवा बीजेपी के साथ है और इतिहास

में जायेगे तो मुगलों के साथ हो या फिर अग्रेजों के साथ भी यही कनफुकवा खड़ा था इस कनफुकवा का यही चरित्र ही है हमेशा सत्ता के साथ बने रहना है चाहे इसके लिए कुछ भी दाव पर लगाना क्यों पड़ जाये इस कनफुकवा यही ताकत है झूठ को इतने तरीके से रखिए कि समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाये औऱ धीरे धीरे वह झूठ सच महसूस होने लगाता इसकी यही कला है।। हलांकि इन कनफुकवा का झूठ ज्यादा दिनों तक नही चला है बेनकाब होते रहे हैं, लेकिन फिलहाल वक्त कनफुकवा के साथ खड़ा दिख रहा है और महसूस भी हो रहा है कि सब कुछ इसके इशारे पर चल रहा है।  लेकिन हकिकत में ऐसा होता नही है इन्तेजार करिए जल्द ही तिलिस्म टूटेगा ।।।

santosh singh
संतोष सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश के कई बड़े समाचार संस्थानों में अपनी सेवाएं दे चुके संतोष फ़िलहाल कशिश न्यूज़ में बतौर सम्पादक कार्यरत हैं।

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