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जंगल राज की एक बेटी यामिनी जो अब सुशासन में बहु बन कर लौटी है

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अभय पाण्डेय/पटना: यामिनी बिहार की बहु हीं नहीं बेटी भी हैं, क्योंकि जिस बंगाली बाला का परिचय उपमुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी ने अपनी पुत्रवधू के रूप में कराया है उसका जन्म स्थान बिहार हीं हैं।

यामिनी, बिहार, जंगल राजकहानी लगभग 20 साल पुरानी है। तब बिहार में राजद की सरकार थी। कथित तौर पर उस वक्त बिहार में अपराध चरम पर था। रंगदारी, अपहरण, डकैती जैसी वारदातें तब यहाँ उद्योग के रूप में घटीत होती थीं। लिहाजा लोगों के अन्दर पूरी तरह असुरक्षा की भावना घर कर गई थी। ख़ास कर यहां का व्यवसायी वर्ग इससे ज्यादा प्रभावित था। ऐसे में व्यवसायी घरानों के पास दो हीं रास्ते थे, या तो हालात से समझौता कर सब कुछ सहते रहो या फिर अपना ठिकाना बदल लो।

यामिनीकई लोग जो हालात से समझौता कर सकते थे वो नुकसान झेलने के बाद भी यहीं जमे रहे, लेकिन जिनके लिए ये सब झेल पाना मुश्किल था वो पलायन कर गए। असुरक्षा की ऐसी हीं भावनओं से डरा-सहमा एक परिवार यामिनी का भी था।

यामिनी, बिहार, जंगल राज मूल रूप से मुंगेर जिले के एक मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाले यामिनी के पिता नवलजी केदारनाथ वर्मा अब से लगभग 20 साल पहले सपरिवार बिहार से कलकत्ता के लिए पलायन कर चुके थे। बिहार से बंगाल को पलायन कर चुके नवलजी ने पुरानी बातों को नजरअंदाज करते हुए कोलकता को हीं अपना ठिकाना और कर्म क्षेत्र बना लिया।

यामिनी, बिहार, जंगल राजआज नवलजी केदारनाथ वर्मा का नाम कोलकाता के जाने माने स्वर्ण व्यवसायी में शुमार है। बात यामिनी की करें तो पलायन के वक्त वो इतनी छोटी थीं की तब की यादें शायद अब धुंधली पड़ गई होंगी क्योंकि पलायन के बाद से हीं यामिनी कलकत्ता की हो कर रह गई।

यामिनी, बिहारआज यामिनी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशिल मोदी की बड़ी बहु के रूप में फिर से बिहार की उसी मिट्टी पर लौट आईं हैं जिस मिट्टी से दूर उनका परिवार एक नई दुनिया बसा चुका था। पुरे विधि-विधान के साथ यामिनी की शादी रविवार को उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बड़े बेटे उत्कर्ष तथागत से हुई। इस मौके पर देश की कई जानी मानी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और वर-वधु को आशीर्वाद दिया। सबसे ख़ास बात तो ये रही जिस जंगल राज के डर से बिहार की बेटी यामिनी को बचपन में हीं बिहार से दूर होना पडा था बहु बनने पर उसी राज के मुखिया लालू यादव खुद उसे आशीर्वाद देने पहुंचे थे।

 

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