क्या BJP के DGP! केएस द्विवेदी के नाम पर बिहार में तेज हुई सियासी बयानबाजी
पटना: तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए बिहार सरकार ने DGP के रूप में केएस द्विवेदी के नाम का ऐलान कर दिया है। जारी अधिसूचना के मुताबिक़ 1984 बैच के IPS द्विवेदी 1 मार्च को अपना पदभार ग्रहण कर लेंगे। अब नए DGP के नाम की घोषणा के बाद तमाम अटकलों पर तो विराम लग गया, लेकिन सियासत शुरू हो गई है। ये बात विरोधी दलों के गले नहीं उतर रही कांग्रेस हो या राजद सभी एक हीं राग अलाप रहे हैं। विरोधियों का मानना है कि केएस द्विवेदी BJP के DGP हैं।
राजद विधायक भाई बीरेन्द्र ने केएस द्विवेदी को DGP चुने जाने पर आपत्ति जाहिर की है। उनका कहना है कि द्विवेदी DGP नहीं बल्कि भाजपा के एजेंट के तौर पर तैनात किये गए हैं। बकौल बीरेन्द्र जिनका दामन पहले से हीं दागदार हो उनसे अच्छी पुलिस व्यवस्था की उम्मीद करना बेमानी है। भागलपुर दंगे का जिक्र करते हुए बीरेन्द्र कहते हैं कि ये बिहार की जनता का दुर्भाग्य हीं है कि द्विवेदी जैसे अधिकारी को उनके सुरक्षा की बागडोर सौपी गई है। भाई बीरेन्द्र की नजर में द्विवेदी की क्षवी एक पुलीस अधिकारी से ज्यादा दंगाई की है जो RSS के लिए काम करता है। उन्होंने सरकार से इस मसले पर पुनः विचार करने की अपील करते हुए कहा कि ये पद बेहद ख़ास है क्योंकि इससे जनता की उम्मीदें जुडी है, लिहाजा द्विवेदी की जगह किसी अन्य को यह पोस्ट दिया जाए। Read also- http://केएस द्विवेदी होंगे बिहार पुलिस के नए मुखिया, 1 मार्च को ग्रहण करेंगे पदभार
बिहार प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी का कहना है कि नीतीश कुमार केवल नाम के मुख्यमंत्री हैं। आज उनकी हालत ये है कि चाह कर भी वो अपने किसी फैसले को अमलीजामा नहीं पहना सकते। ऐसे में भाजपा का DGP होना कोई बड़ी बात नहीं। कादरी के मुताबिक़ नीतीश कुमार खुद को भले हीं सेक्युलर कहते हैं लेकिन अन्दर से वो पूरी तरह कॉमुनल हीं हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा से अलग रहने में उन्हे घुटन महसूस होने लगी। कादरी कहते हैं दंगाइयों को सजा दिलाने के नाम पर नीतीश अपनी पीठ चाहे जितनी थपथपा लें द्विवेदी जैसे अधिकारी को DGP बनाने का मतलब है जनता को धोखा देना।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इंतेखाब आलम के मुताबिक़ द्विवेदी के रूप में BJP ने JDU पर अपना एजेंडा थोप दिया है। आलम को केएस द्विवेदी का DGP बनाया जाना एक प्रक्रिया से ज्यादा BJP की सोची समझी रणनीति लगती है। आलम की नज़र में द्विवेदी का चयन पुलिस व्यवस्था की बागडोर संभालने के लिए नहीं बल्कि BJP के दलित विरोधी एजेंडे को धार देने के लिए हुआ हैं। आलम ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिन दंगाइयों को सजा दिलाकर नीतीश दंभ भरते हैं उनके संरक्षक को ऐसा महत्वपूर्ण पद सौंपना दंगा पीड़ितों के साथ मजाक से ज्यादा कुछ नहीं। इंतेखाब ने नीतीश के दलित प्रेम को ढकोसला बताते हुए कहा कि सत्ता में आने के लिए उन्होंने दलित प्रेम का स्वांग रचा फिर उसी भाजपा के साथ हो लिए जो दलितों का सबसे बड़े दुश्मन है। बकौल इंतेखाब नीतीश कुमार अब BJP के हांथों की कठपुतली बन गए हैं ऐसे में द्विवेदी का चयन किया जाना एक नमूना भर है।
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहाना है कि द्विवेदी का DGP चुना जाना UPSC की एक प्रक्रिया है। IAS और IPS किसी दल से चुन कर नहीं बल्कि UPSC कॉम्पिट करके आते है। उन्होंने सीधे राजद सुप्रीमों पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों के बारे में राजद क्या जाने लालू जी के खानदान में आज तक इस पद के लायक कोई हुआ हीं नहीं। इस मामले में उन्होंने राजद के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि वे लालूजी के तीन पुश्तों को जानते हैं जो गलती से भी UPSC में भाग लेने की नहीं सोच सका। उन्होनें भागलपुर दंगे से द्विवेदी का नाम जोड़े जाने पर उलटे राजद को हीं घेरे में ले लिया। नीरज के मुताबिक़ अगर एसपी होने के नाते केएस द्विवेदी को दंगा का दोषी करार दिए जा सकता है तो लालू को क्यों नहीं ? घटना के बाद लंबे वक्त तक प्रदेश की सत्ता की बागडोर सम्भाल चुके लालू यादव ने द्विवेदी पर कारवाई क्यों नहीं कि ?
बहरहाल ये राजनीति है यहाँ बाल का खाल निकाला जाना कोई नई बात नहीं। अबतक के सेवाकाल में ऐसे कई मौके आये होंगे जब केएस द्विवेदी को ऐसी राजनीति का सामना करना पडा होगा। लिहाजा वो इसके रग रग से वाकिफ़ होंगे और निपटने के पैंतरे भी बखूबी जानते होंगे। लेकिन ये तब की बाते होंगी जब वो सैकड़ोंकी भीड़ में एक थे और अब ख़ास हैं। ऐसे में देखना ये होगा कि बतौर DGP वे अब इस नई और बड़ी जिम्मेदारी को कितनी संजीदगी से निभाते है।