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पत्रकारिता अब नहीं रही आसान, हर साढे चार दिन में मर रहा है एक पत्रकार

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हर साढे चार दिन में मर रहा है एक पत्रकार
Photo courtesy – news.tj/

 

वर्तमान दौर में पत्रकारिता करना आसान बात नहीं रह गयी है। आये दिन पत्रकारों की हत्या की ख़बरें आती रहती है। पत्रकारिता एक सम्मानजनक पेशा है। एक पत्रकार अपनी लेखनी से समाज की दशा और दिशा का निर्धारण करता है। अपने पेशे के जरिए देश और समाज की बुराइयों और कुरीतियों को उजागर करता है। वर्तमान दौर में पत्रकारिता अब आसान नहीं रह गयी है। दुनिया के स्तर पर सबके अधिकारों की बात करने वाले, पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। यूनेस्को ने एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट जारी की है जिसके मुताबिक हर साढे चार दिन में एक पत्रकार मारा जा रहा है। यूनेस्को महानिदेशक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में काम के दौरान 827 पत्रकार मारे गए। ‘सेफ्टी ऑफ जनर्लिस्ट एंड द डेंजर ऑफ इंप्युनिटी’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके अरब देश हैं जिनमें सीरिया, इराक, यमन और लीबिया शामिल हैं। इसके बाद लातिन अमेरिका का स्थान है। ज्यादातर मौतें संघर्षरत क्षेत्रों में हुई हैं। शायद सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात पश्चिमी यूरोप और उत्तर अमेरिका में पत्रकारों की बढती मौतें हैं।भारत में पत्रकारों की सुरक्षा की स्थिति भी काफी खराब है। कुछ दिनों पहले बिहार और झारखंड में पत्रकारों की हत्या हुयी थी। भारत में पत्रकार नक्सलियों, माफियाओं, राजनीतिकों, अपराधियों के निशाने पर रहते हैं।

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पत्रकार की नौकरी जहाँ असुरक्षा की भावना से घिरी रहती है वहीँ पूरी दुनिया के स्तर पर राजनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। रिपोर्टिंग के दौरान मारे जाने के साथ-साथ, सोशल मीडिया पर उनको गाली और धमकी आम होती जा रही है।पत्रकारिता के प्रमुख सिद्धांतों का पालन, जिसमें निष्पक्षता और सत्य उजागर करना प्रमुख सिद्धांत में से है, चुनौती बनता जा रहा है। ईमानदार पत्रकारिता, इस बदले समय में काफी चुनौतीपूर्ण लग रही है। दुनिया भर के देशों को को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए गंभीरता से विचार करना होगा।

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