26/11 आतंकी हमला, 8 साल बाद भी ताज़ा हैं ज़ख्म
कातिल आहट फिर मौत का शोर उसके बाद मातम का सन्नाटा, 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई आतंकी हमले की वजह से सहम गया था। देश आज भी उस दहशत को भूल नहीं पाया है। 8 साल पहले मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले का ख्याल भर मन में आते हीं वीभत्सता का वो मंजर रूह को कंपा जाती है।
आज इस हमले की आंठवीं बरसी है लेकिन ना तो आतंकी हमले का ख़ौफ़ दिल से गया है और ना ही घाव भरे हैं। 2008 के उस आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे। ये हमला पाकिस्तान से आए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 खूंखार आतंकियों ने किया था। लगभग 57 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद पुलिस ने 10 में से नौ आतंकियों को मार गिराया था, जबकि अजमल कसाब नाम का एक आतंकी पुलिस के हत्थे चढ़ गया था।
हमले की वो खौफनाक रात
- 26 नवंबर 2008 की शाम कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से हथियारों से लैस दस पाकिस्तानी आतंकी मुम्बई में दाखिल हुए।
- ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बाँट कर वारदात को अंजाम दे रहे थे।
- आतंकियों की पहली टीम में इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकवादी शामिल थे।
- आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे।
- ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकियों ने होटल ताज में गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने होटल में मौजूद पर्यटक, विदेशी नागरिकों और होटल कर्मचारियों को बंधक बना लिया।
- मुंबई के ताज होटल में बंधकों में सात विदेशी नागरिक भी शामिल थे।
- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन के अलावा आतंकियों ने ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफ़े, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर आतंकियों ने हमला किया।
- आतंकियों ने ताज होटल के जीएम की पत्नी और उनके तीन बच्चों की हत्या कर दी ताकि सुरक्षाकर्मी और एनएसजी के कमांडो डर कर उन पर गोली ना चलाएं।
- लगभग 57 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद पुलिस ने 10 में से नौ आतंकियों को मार गिराया था।
- एक आतंकी गुनहगार अजमल आमिर कसाब को जिन्दा पकड़ा जा सका था।
- कसाब को पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
आतंकी हमले में देश ने खोये कई जांबाज
हेमंत करकरे – मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे रात में अपने घर पर उस वक्त खाना खा रहे थे, जब उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियां लगने से वह शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
तुकाराम ओंबले – मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वह जांबाज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया। इस दौरान उन्हें कसाब की बंदूक से कई गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए। शहीद तुकाराम ओंबले को उनकी जांबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
अशोक काम्टे – अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस वक्त मुंबई पर आतंकी हमला हुआ, वह एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई गोलीबारी में अशोक काम्टे शहीद हो गए थे।
विजय सालस्कर – एक समय मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे। शहीद विजय को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन – मेजर संदीप उन्नीकृष्णन एक आर्मी ऑफिसर थे और एनएसजी के स्पेशल ऐक्शन ग्रुप में तैनात थे। हमले की रात एक आतंकी द्वारा उनकी पीठ पर किए गए हमले में वह शहीद हो गए। शहीद उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
गौरतलब है कि हमले को हुए आठ साल गुजर गए हैं लेकिन हमले का मास्टरमाइंड आज भी आजाद है। मुंबई हमले मामले की सुनवाई के बाद कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी लगी दी गई जबकि हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घुम रहा है।