पटना में दो नाव डूबे, 30 से ज्यादा लोगों की बन गयी जल समाधि
हादसे रोके नहीं जा सकते और न इसका पूर्वानुमान ही लगाया जा सकता है। शनिवार को मकर संक्रांति के अवसर पर हजारों की संख्या में लोग गंगा दियारा गये थे। बिहार सरकार की ओर से वहां हर साल की भांति इस साल भी पतंगोत्सव का आयोजन किया गया था। शनिवार होने के कारण अपेक्षाकृत अधिक लोग वहां देखे गये क्योंकि अगले दिन न किसी को स्कूल/कॉलेज जाने की चिंता थी और न दफ्तर। दिन भर वहां बच्चे, युवा और परिवार के साथ पहुंचे लोगों ने धमाचौकरी मचाई। पर, शाम ढलते-ढलते वहां मातम का माहौल छा गया। दो छोटी-छोटी नावों पर सवार करीब 80 लोग नाव के आपस में टकरा जाने से डूब गये। चूंकि, यह हादसा किनारे से बस 20 मीटर की दूरी पर हुआ, इसलिए करीब 30 लोगों की जान बचाई जा चुकी थी। बाकि बचे हुए लोगों को ढूढने के लिए एसडीआरएफ की टीम और स्थानीय मछुआरे रात भर लगे हुए थे।

हादसों से नहीं हुआ सुधार
पटना में यह पहली घटना नहीं थी। पिछले छह सालों में यह तीसरी बड़ी घटना थी, जो प्रशासन की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण हुआ। इससे पहले नवंबर, 2012 में छठ पूजा के दौरान छठ घाट से आ रहे व्रर्तियों और श्रद्धालुओं के साथ ऐसी ही घटना घटी थी, जिसमें करीब 20 लोगों के मारे जाने की खबर मिली थी। उसके ठीक दो साल बाद नवंबर, 2014 में गांधी मैदान दशहरा में रावण वध के दिन भगदड़ मच गयी थी। इन दोनों हादसों से शिक्षा लेते हुए प्रशासन ने 2016 में छठ और हाल ही में बीते प्रकाश पर्व में परी चुस्ती बरती थी, जिस कारण ये दोनों आयोजन सफल हुए थे। अब 21 जनवरी, 2017 को शराबबंदी के उपलक्ष्य में मानव शृंखला बनाने की योजना है, जिसकी तसवीर नासा के सैटेलाइट लेंगे और वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी नामित होगी। दूसरी ओर उसके ठीक पांच दिन बाद गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी, 2017 को गांधी मैदान में झांकी और परेड का आयोजन किया जायेगा। प्रशासन अभी से नहीं संभला, तो पटना भी हादसों के शहर में शूमार हो जायेगा। बहरहाल सूबे के सीएम नीतीश कुमार और राज्यपाल राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताया है। वहीं, सीएम नीतीश के साथ लालू प्रसाद ने भी शोक व्यक्त किया। जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने जांच के आदेश देते हुए कहा कि दोषी बक्शे नहीं जायेंगे। पर अहम सवाल यह भी उठता है कि क्या ये जिम्मेवारी डीएम संजय कुमार अग्रववाल और एसएसपी पटना मनु महाराज की नहीं थी।
PM expressed grief on the loss of lives caused by the boat tragedy in Bihar. He extended condolences to the bereaved families.
— PMO India (@PMOIndia) January 14, 2017

पीएमसीएच में हो रहा इलाज, कईयों को बिना जांचे ही पोस्टमार्टम के लिए भेजा
सभी घायलों को घाट से पीएमसीएच लाया जा रहा था। पीएमसीएच कैंपस में चारों ओर चीख-पुकार की आवाज ही सुनाई दे रही थी। मरनेवालों की संख्या हर 15-20 मिनट पर बढ़ती जा रही थी। रात 12 बजे तक 21लोगों की मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी थी। इमरजेंसी वार्ड के फर्श पर ही करीब 15 लाशें कतार में रखी हुई थीं। डॉक्टर उनका इलाज तो नहीं कर पाये, पर आधिकारिक पुष्टि करने के लिए जांच जरूर कर रहे थे। छह शव तो ऐसे भी थे, जिसकी जांच भी नहीं की गयी और उन्हें सीधा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। स्थानीय लोगों के अनुसार हादसे में कम-से-कम 30 लोग मारे गये हैं और यह संख्या सुबह होने तक बढ़कर 40 के पार हो सकती है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना था कि प्रशासन मुआवजे की राशि कम रखने के लिए मृतकों की संख्या कम बता रही है। सरकार ने मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजे के रूप में देने की घोषणा की है।
दमराही घाट की जल समाधि याद आयी
इसके बाद कुछ ही दूरी पर मौजूद एसडीआरएफ की टीम ने लाइफ जैकेट फेंक कर कइयों की जान बचाई।
मौत के मुहाने पर थे, मुकद्दर साथ था तो बच निकले