सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है। बिहार हाई कोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
Supreme Court sets aside the Patna High Court order that had ruled
that nearly 3.5 lakh contract teachers in government schools in Bihar are entitled to a salary on a par with the regular permanent teachers, .— ANI (@ANI) May 10, 2019
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 11 याचिकाओं पर सुनवाई की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब से ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का लाखों नियोजक शिक्षकों को बेसब्री से इंतजार था। बिहार के 3 लाख 56 हजार टीचर्स की उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट से लगी हुई थीं। बता दें कि बिहार में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हक में किया था फैसला
बिहार में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक काफी समय से आंदोलन कर रहे थे। पटना हाईकोर्ट ने आंदोलन कर रहे शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था और बिहार सरकार को समान वेतन देने का निर्देश दिया था। हालांकि बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखने से पहले याचिका पर सुनवाई की थी। शिक्षक संघ की तरफ से अधिवक्ता ने कहा था कि पटना हाई कोर्ट ने समान काम-समान वेतन के पक्ष में सही फैसला दिया है। सरकार फैसले को लागू नहीं कर बेवजह नियोजित शिक्षकों को परेशान कर रही है। शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट में तर्क दिया जा रहा है कि समान काम के लिए समान वेतन, नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है।
वहीं केंद्र सरकार नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने के लिए राशि बढ़ाने पर सहमत नहीं दिखी थी। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन देना राज्य सरकार का काम है। इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। केंद्र ने तर्क दिया था कि नियमित शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से हुई है। वहीं नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है, इसलिए इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है।
केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने नियोजित शिक्षकों के बारे में कहा कि सर्व शिक्षा अभियान मद की राशि राज्यों की जनसंख्या और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दी जाती है, न कि वेतन में बढ़ोतरी के लिए। सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार राज्यों को केंद्रांश उपलब्ध कराती है। केंद्र इस राशि के अलावा वेतन के लिए राशि नहीं दे सकती है। राज्य सरकार चाहे तो अपने संसाधन से समान काम के बदले समान वेतन दे सकती है। प्रत्येक राज्य अपने संसाधन से ही समान काम समान वेतन दे रही है।