आज की मीडिया को आईना दिखाती युवा पत्रकार मृत्युंजय की कलम
सोचिये जब पहली बार किसी पत्रकार की कलम उठी होगी तो उसके जेहन में भविष्य की कौन सी तस्वीर उभरी होगी ? शायद कलम के जरिये व्यवस्था को सुदृढ़ करने कि या फिर लोकतंत्र की कमियों को रेखांकित कर उसे सही राह दिखाने की। जो भी हो ये एक मिशन रहा होगा जिसमें जिम्मेदारियों के साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण होगा। कम से कम वो तस्वीर तो बिल्कुल नहीं होगी जो आज के दौर में दिख रही है। क्योंकी आज की मीडिया व्यवस्था के सामने पूरी तरह नतमस्तक है। यहां व्यवस्था का मतलब लाठी है और कलम का मतलब भैंस। सरकारें कुछ बोलती नहीं की मीडिया उनके बखान का पुल बांधने लगाती है। अभी देश में मोदी की सरकार है लिहाजा देश की मीडिया उनके सामने पुरी तरह नतमस्तक है। मानो व्यवस्था में कोई खोट नहीं जो है सब सही है, बिल्कुल गुणवता की कौसौती पर परखा हुआ। पढ़ें ऐसी हीं मीडिया को आइना दिखाता युवा पत्रकार मृत्युंजय त्रिपाठी का ये विचार…

यूं तो पहले लगभग वह सबकुछ हो चुका है जो नरेन्द्र मोदी आज कर रहे हैं लेकिन मीडिया के लिए यह सबकुछ ‘पहली बार’ ही होता है…।
पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब नरेंद्र मोदी ने पहली बार सी- प्लेन में सफर किया। अहमदाबाद में साबरमती नदी से धारोई बांध तक पहली बार उन्होंने सी- प्लेन में उड़ान भरी और ‘इतिहास रच दिया’। यह अलग बात है कि 2010 में यूपीए सरकार के समय ही अंडमान के लिए सी-प्लेन सेवा शुरू कर दी गई थी…।
समझ नहीं आता कि ‘मोदी युग’ में मीडिया का जीके कमजोर हो गया है या सब के सब पत्रकार सरकारी पैकेज पर काम कर रहे हैं…। माने हद है.. मोदी गुणगान में अपने दायित्व ही नहीं, सारा इतिहास भी भूल गया है मीडिया और मोदी जो करें, नया इतिहास रचते दिखते हैं; भले ही वह इतिहास दुहरा-तिहरा रहे हों… दरअसल इस समय मीडिया खुद भी सरकारी गुलामी और सरकार की चमचई का नया इतिहास ही रच रहा है…! नित्य नया इतिहास या कहिए कि झूठ रचने के लिए मोदी के साथ मोदी प्रेमी मीडिया को भी बधाई!
