Exclusive: बिहार में फेसबुक पर घमासान, 4 युवकों पर मामला दर्ज 1 गिरफ्तार
KISHANGANJ: सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ ना कुछ वायरल होते रहता है, जिनमें अच्छी और बुरी दोनो तरह की चीजें होती हैं, लिहाजा कभी उस पोस्ट की सराहना होती है तो कभी घोर निंदा, किसी को पसंद आती है तो किसी को नस्तर की तरह चुभ जाती है। बात साफ है जितने लोग उतने मिजाज। अब बात सोशल साइट फेसबुक की करें तो भारत की लगभग 241 मिलियन आबादी सोशल साइट फेसबुक पर मौजुद है। ऐसे में सबकी पसंद-नापसंद का खयाल रख पाना मुमकीन नहीं। लिहाजा कई बार सोशल मीडिया से निकल कर ये मामले अदालतों के चौखट तक पहुंच जाते हैं।
ताजा मामला किशनगंज जिले के ठाकुरगंज थाने का है जहां फेसबुक पर किए गए कुछ पोस्ट अब फेसबुक से निकल कर पुलिस चौकी के रास्ते अदालत की चौखट तक पहुंच गए है। दरअसल कुछ युवकों के पोस्ट को लेकर धर्म विशेष के एक व्यक्ति कि शिकायत के बाद पुलिस ने चार युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिनमें से एक युवक को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है जबकि तीन युवक अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
इन युवकों पर आरोप है कि एक धर्म विशेष के उपर किए गए इनके पोस्ट से क्षेत्र में कभी भी धार्मिक उन्माद फैल सकता है। इधर आरोपी युवकों के परिजनों का कहना है कि ये सब एक सोची-समझी साजिश के तहत पुर्वाग्रह से ग्रसित होकर किया जा रहा है जिसका मात्र एक मकसद इन युवकों की जिंदगी तबाह करना है। उनकी माने तो इस पुरे मामले में स्थानीय पुलिस की भुमिका भी संदेह के घेरे में है। हालांकि उन्हे न्यायालय पर पुरा-पुरा भरोषा है और उम्मीद है कि न्याय जरुर मिलेगा। इस बाबत जब ठाकुरगंज थानाध्यक्ष से बात करने की कोशिश कि गई तो उन्होने व्यस्तता का हवाला दे कर ऐसे पल्ला झाड़ लिया जैसे वो खुद कोई बहुत बड़ा गुनाह कर बैठे हों ।
गौरतलब है कि इन युवकों पर जो धाराएं लगाई गई हैं उन में से एक IT act की धारा 66 A को सुप्रिम कोर्ट ने पहले हीं निरस्त कर दिया है। इस धारा को निरस्त करते हुए न्यायलय ने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) A के तहत प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया था। न्यायालय के इस फैसले के मुताबिक फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर की जाने वाली किसी भी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पुलिस आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं कर सकती। न्यायालय ने यह महत्वपूर्ण फैसला सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े विवादास्पद कानून के दुरुपयोग की शिकायतों को लेकर इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया था । बता दें पहले यह धारा वेब पर अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी। जिस पर कोर्ट ने गहन वीचार करते हुए कहा कि IT act की धारा 66 A से लोगों की जानकारी का अधिकार सीधा प्रभावित होता है। साथ हीं कोर्ट ने यह भी कहा था कि धारा 66 A संविधान के तहत उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को साफ तौर पर प्रभावित करती है। न्यायालय ने प्रावधान को अस्पष्ट बताते हुए कहा था, ‘किसी एक व्यक्ति के लिए जो बात अपमानजनक हो सकती है, वो दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है।’
इधर पुरे मामले में गौर करते हुए जब हमारी टीम ने मामले की पड़ताल सुरु की तो जो कुछ भी सामने आया वो बेहद चौकाने वाला था। दरअसल जिस पोस्ट को लेकर इन चारो युवकों पर मामले दर्ज हुए हैं वो इनके दिमाग की उपज है हीं नहीं बल्कि पहले से हीं फेसबुक पर वायरल हो रहे थे, जिसे इनसे पहले भी कई लोगों ने पोस्ट किए हैं, इन्हो ने तो बस कॉपि की है। अब सवाल ये उठता है कि अगर ये पोस्ट वाकई आपत्तिजनक हैं और इससे धार्मिक उन्माद फैल सकता है तो क्या सभी पोस्ट करने वालों पर मुकदमे दर्ज होंगे, क्या सभी सलाखों के पीछे जाएंगे।