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गूगल ग्लास की आदत हो सकती है खतरनाक

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Image Source: Pinterest

तकनीकी ने एक तरफ हमारे काम आसान कर दिये हैं, वहीं इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हैं। ये साइड इफेक्ट्स तब और गंभीर हो जाते हैं, जब आपकी निर्भरता उसके प्रति बढ़ने ही लगती है। इसका तरोताजा उदाहरण है गूगल ग्लास। गूगल ने इसका इजाद करीब तीन साल पहले किया था। नये शोध के अनुसार गूगल ग्लास जैसी हेड्स-अप डिस्प्ले प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से दिमाग की प्रतिक्रिया का समय धीमा पड़ सकता है। इससे वाहन चलाते समय दुर्घटना की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हेड्स अप डिस्प्ले प्रौद्योगिकी उपयोगकर्ताओं को सेकेंडों में बहुत अधिक सूचना उपलब्ध कराता है, जो ठीक उनकी आंखों के सामने होता है।
‘कॉगनिटिव रिसर्च : प्रिंसपल्स एंड इंपिलिकेशन्स’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, आज के भागदौड़ भरी लाइफ स्टाइल में जानकारी बहुत अहम है, लेकिन अमेरिका के सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में किये गये अध्ययन के मुताबिक पहले से उपलब्ध जानकारी दिमाग के प्रतिक्रिया समय को धीमा कर सकता है।

विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर मार्क नेदर के अनुसार, ‘आंकड़ें बताते हैं कि हेड्स अप डिस्प्ले पर उपलब्ध दूसरी जानकारी गाड़ी चलानेवाले का ध्यान भटका सकती है. इससे लोगों को सामने या पीछे से आ रही गाड़ियों के लिए रिएक्शन टाइम में कमी आ जाती है, जो खतरनाक साबित हो सकती है।’ इसके अलावा अन्य काम जैसे, खाना बनाना, पढ़ाई करना या फिर खेलते समय भी इसका प्रयोग आपका ध्यान भटका सकता है, जो हादसों को आमंत्रण देने जैसा है।

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